उन्नाव रेप केस

चलों फिर से आज दिवाली मानते है
एक- दो दिन का नहीं,
पूरे हफ्ते भर मोमबतियाँ जलते है
फटे आंचल के सम्मान में
फिर से भीङ को सङको पर ऊतारते है
न्याय का तो पता नहीं,
चलों फिर से आज दिवाली मानते है
क्या हुआ, जो रोज,
आंचल फटते है तो फट जाने दो
कुछ एक पे लोगो को हंस जाने दो
न्याय के दुकानों को लग जाने दो
अगर हो गई मौत,
तो सङको पर लोग ऊतरते है
न्याय के नाम पर, कैंडल मार्च करते है
न्याय का तो पता नहीं,
चलों फिर से आज दिवाली मनाते है
सफेद पोशाक वालो को दल बदल लेने दो
फिर से उनकी नियत पर परदा लगने दो
खाखी को हाँ जी हाँ जी करने दो
उन से उनका खिलौना ले लेते है
और दिवाली के पटाखे मिलकर चलाते है
न्याय का तो पता नहीं
चलो फिर से आज दिवाली मनाते है
           -nisha nik''ख्याति"










Comments

  1. Hi, I really liked the shayari that you shared above but there is my anniversary on day after tomorrow. Will you please provide me anniversary shayari for that.

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