Short love story

........(short story).......

आह! तो भरी थी मैंने
पर शायद....उसने सुनी नही?
या फिर, सुनने की मर्जी नही थी!?
खैर बात जो भी हो...
रात...,रात हर रोज की तरह खुबसूरत,
शांत और आश्मा में हजारों तारो को समेटे हुऐ था।
बस घर आने से पहले बाहर का ये नजारा देख कर आई थी !
सच कहूँ रात की खुबसूरती  को देख कर मन हुआ फिर से बाहर चली जाऊँ ।
पर ना जाने क्यों उसके बगल से उठने का मन नही करता ।
हलाकी आँखों  में नींद दस्तक दे रही थी ना जाने कब से,
पर सोने की इच्छा नही थी।
मन ये सोच रहा था कहीं आँख लगने पर वो जाग गया तो।
अगर चाह उसकी खुदको शून्य करने की हुई तो , मैं को हम करने की  हुई तो.....
बस इस इंतजार में रात के पहर बीतते चले जा रहे थे ,
और हम उनके बगल में  बादल की तरह हो गये थे ।
जो ना तो आश्मा में मिल पा रहे थे ना नीचे आ पा रहे थे ।
खैर.....अब तो हम रात से भी गुजर जाने की दुआ कर रहे थे ।
इसका रूकना भी आफ़ताब(सूरज) सा हो गया था।
       
         सुबहा को कहो जल्दी आये
         रात में आँखें जाग रही।
 ना जाने किन उम्मीदों का काजल सजाया है इसने
नींद अभी तक इन में गहराई नहीं है ।
        - nisha nik ''ख्याति''

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