फागुन आया
,,,,,,''''''फागुन आया''''',,,,,
अब तो फागुन आया पिया
इश्क़ का रंग लगा दे मुझे
अमबिया पे चढ गये मंजर
वो इश्क़ का जाम पी आया
क्यों इस क़दर तुने मुझे सताया
क्यों इतनी बेपरवाही दिखाया
जब जाती हूँ खेतो से
अहरारी भी हंसती है
ले के फूल मोहबत के
खुद पे इतराती है
गिरा के मुझको हवा के झोके से
फिर वो हंसती है
कैसे कहूँ तुम से ये दास्ता
वो फागुन पे अकङती है
ना अमबिया था मेरा
ना अहरारी थी मेरी
ना अमबिया का मंजर दिखा मुझे
ना अहरारी के फूल दिखे मुझे
इस फगुन में पिया
दिखी तो बस तेरी बेपरवाही
अब तो फागुन आया पिया
इश्क़ का रंग लगा दे मुझे
....nisha nik''ख्याति''......
अब तो फागुन आया पिया
इश्क़ का रंग लगा दे मुझे
अमबिया पे चढ गये मंजर
वो इश्क़ का जाम पी आया
क्यों इस क़दर तुने मुझे सताया
क्यों इतनी बेपरवाही दिखाया
जब जाती हूँ खेतो से
अहरारी भी हंसती है
ले के फूल मोहबत के
खुद पे इतराती है
गिरा के मुझको हवा के झोके से
फिर वो हंसती है
कैसे कहूँ तुम से ये दास्ता
वो फागुन पे अकङती है
ना अमबिया था मेरा
ना अहरारी थी मेरी
ना अमबिया का मंजर दिखा मुझे
ना अहरारी के फूल दिखे मुझे
इस फगुन में पिया
दिखी तो बस तेरी बेपरवाही
अब तो फागुन आया पिया
इश्क़ का रंग लगा दे मुझे
....nisha nik''ख्याति''......
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