क्या,हो गई है गुमनाम चिट्ठियाँ
,,,,''''क्या, हो गई है गुमनाम चिट्ठियाँ'''',,,,
क्या कोई पुरानी कहावत है
या, जिसे मैं मिल नहीं पाई,
ये वो मेहमान है
सुना तो बहुत इसके बारे में
पर कहाँ खो गई चिट्ठियाँ
क्या, हो गई है गुमनाम चिट्ठियाँ।
इसके रूप को सोचती
इसे लिखते कैसे है
ये भी सोचती हूँ
ये कब पहुँचेगी वहाँ
जिसके लिये लिखा है
कब आयेगा फिर उसका जवाब
कैसा होता होगा वो इंतजार,
ये सब सोचती हूँ
सोचती हूँ, क्यों उदास हो गई चिट्ठियाँ
क्या ,हो गई है गुमनाम चिट्ठियाँ
सुना है मैंने,
ये खुशबू से महकती है
क्या , इत्र लगाकर आती है
सुना तो ये भी है
इसे खोलो तो,
ये हंसाती और रूलाती है
क्या सबके पसंद का सामान ये रखती है
क्या सबसे लङकर दूर चली गई चिट्ठियाँ
क्या, हो गई है गुमनाम चिट्ठियाँ
.....nisha nik''ख्याति''......
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