नग़मे

,,,,''''नग़मे"",,,,

अब नग़मे मिलते नहीं
जिन्दगी बता, तुझको गुनगुनाऊँ कैसे
आंसु  भी आते नहीं
ये दर्द, तुझ से छुपाऊँ कैसे
अब नगमें  मिलते नहीं...

चेहरे पर नूर नहीं
अब बीत गई रात पुनम की
हर आमावश में दिवा जलाऊँ कैसे
दिवाली रोज होती नहीं
जिन्दगी बता, अब मुस्कुराऊँ कैसे
अब  नग़मे मिलते नहीं....

दफ़न नहीं ,जिन्दगी तूँ
तुझको कफ़न मिले कैसे
गिला भी तो नही, सब से
अब शिकायत करे कैसे
जिन्दगी बता, तुझ पे लतीफ़े सजाऊँ कैसे
अब नग़मे मिलते नहीं....

....nisha nik''ख्याति''.....

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