वक्त और मैं
.....,,,,,'''''वक्त और मैं'''',,,,,.....
''''वक्त से मेरी बात''''
वक्त चल आज तुझ से बाते करते है...
तू हमेशा आती है...शोर मचा कर...ना ना चुपके से नही मुझे नही समझ आता तू कैसे आती है, पर हाँ मैं जानती हूँ तू चुपके से चली जाती है मुझ से बिना बतायें.....नहीं नहीं तू सुन तो नारज मत हो, मैं तुझ से शिकायत नहीं कर रही ,तू तो मेरी दोस्त है ना ,बस इसलिए मैं अपनी परेशानी तुझ से बता रही हूँ...अब सुन ना तू ही मेरी मदत कर...मैं बहुत परेशान हूँ।
''''वक्ता का जबाब''''
सुनों तुम बेकार में परेशान हो, जबकी तुम जानते ही नही की जिताना तुम जानते हो उतना ही सत्य है उतना ही सच है , मैं चुपके से जाती हूँ बिलकुल जिस तरह हाथ में रखा रेत बङी आसानी से धीरे -धीरे बाहर आजाता है ,अब ये तो तुम पर है कि समय को रोकने में अपना समय बर्बाद करते हो या उस समय में अपना कार्य करते हो क्योंकि मैं वक्त हूँ जो कभी रूकती नहीं, और तुम पूछ रहे हो मैं आती कैसे हूँ शोर के साथ या चुपके से तो ये जाना लो मैं ही दुनिया में सबसे अद्भुत हूँ जो कभी नही आती हमेशा जाती हूँ और एक ही गति से जाती हूँ , अब तुम्हें जबाब मिल गया होगा तुम्हारी परेशानी का क्योकिं अबतक तुम समय का इंतजार कर रहे हो इसलिए परेशान हो, बहुत परेशान हो ।
....nisha nik''ख्याति''.....
Comments
Post a Comment