''भारत'' और ''भारत के युवा''


         ''भारत'' और ''भारत के युवा''

मुझे अच्छा लगता है, अपने बीते कल को याद करना
मुझे अच्छा लगता है, अपनी संस्कृति के साथ चलना
मुझे अच्छा लगता है, अपने देश का गौरवगान करना

पर मुझे अच्छा नही लगता,
वही पुरानी कुरीतियों के साथ चलना
मुझे अच्छा नही लगता ,
जात-पात के नाम पर विवाद होना
मुझे अच्छा नही लगता ,
थालियों को लेकर लङना
मुझे अच्छा नही लगता,
गिरजाघर, मंदिर ,मस्जिद में देश का बट जाना
मुझे अच्छा नही लगता,
छुप कर घर के कोने में बेटियों का क्रहाना

और कितने दशकों तक ...
सिर्फ पुरान गौरवगान गाते रहें
हो रहे आज जो प्रपंच,
कब तक ,उन पर सुखे फूल चढाते रहें
कब तक ,आशावादी बनकर ,
भविष्य के गर्व में क्या छुपा है, इसकी आशा   लगाते रहें

अब तो पुराने गौरवगान की बाते,
किलस बन चुके हैं
मनुस्मृति में बाटे गये धर्म ,
दहन बन चुके हैं
उस पर पश्चिम की सभ्यता ,
हवन में घी का काम कर रहें है

जल्दी -जल्दी बताओ राजनेताओं को
वो देश कैसे सम्भाल रहे है
इस देश के युवा बिमार,
बहुत बिमार होते जा रहे है
बचपन में मिले उन्हें पश्चिम की सीख,
किशोर हो कर उन्हें मिले संस्कार
ये कैसी स्थिती हो गई युवाओं की
त्रिशंकु की उपमा भी है उनके लिए बेकार

आज अपनी ही भाषा को हम भुला चुके है
सच बताऊँ तो उसे बोलने में भी हम शर्म खाते है
अंग्रेजी बोलने की जदोजहत में,
अपना पुरा जीवन बीताते है
ना बोल पाये तो शर्म से एक कोने में दुबक कर रह जाते है
और हालत ऐसी हो जाती है,
ना अंग्रेजी बोल पाते है ,ना हिन्दी के हो पाते है।

गीता के निर्देश अच्छे लगते है
सच कहूँ तो आत्मा को रामायण ही भाते है
पर हाथों में ये जब ही आते है ,
जब हम थक कर हार चुके होते है
पढकर इनको, बहुत कुछ मिलता है
पर सच कहूँ तो उस वक्त ,
हाथों से सब निकल चुका होता है
दिमाग पर पश्चिम का लेप चढा होता है,
दिल पर नाकामी का बोझ होता है ,
और शरीर अपनी ही पीङा में रोता है
करना तो चाहता है वो अपनी
पर मोहबत कर ले, तो वो और भी बुरा होता है
क्योंकि यहाँ परिवार में युवा का विचार नहीं
मनुस्मृति का ज़हर बोलता है ।

.....nisha nik''ख्याति''....

Comments

Popular Posts