मुरझाऐ फूल
,,,,''''कविता - मुरझाऐ फूल'''',,,,
यादों के मुरझाऐ फूल
अभी हाथों में है
सावन थोङी देर से है
नऐ पुष्प खिले नहीं है
स्मृति के भॅवरे
गुनगुना रहे है
अभी मुरझाऐ फूलों पर
फूलों की पंखुङियाँ
धूंधली हो गई है
पर पूरी तरह से
चरमराई नहीं है
भॅवरों को
रस ,मुरझाऐ फूलों से
मिल रहा है,या नही
पर वो मनडरा रहे है,वँही
मुरझाऐ फूल
अपनी टहनी से लग कर
अपने खिलने की स्मृति में है
शायद वो इंतजार में है
नई कलियों के आने पर
स्वागत को वो सज है
मुरझाऐ फूल
....nisha nik(ख्याति )....
( ये कविता वयक्त करती है उन बीते यादों को जिसे हम भुला नही पाते या भुलाना नही चाहते जब तक की उसकी जगह नई यादें (नई कलियाँ) ना ले लें
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