बदनाम गली


,,,''''कविता - बदनाम गली''',,,,

वो गली ,और गली...!!
क्यों थी...!वो बदनाम गली...???
सुबह कि खामोशी सवाल लिए मिलती
रात कि चकाचौंध दिल को चिरती
अकसर खुद से...,,एक सवाल करते मिलती
क्यों थी...! वो बदनाम गली...???

तुलसी के दोहे से...,,राम का गुणगान करने वाले
अकसर छुपते-छुपाते मिलते गली के चौराहे पर
बीते दिन...,, वही मंदिर में बात कहते मिलते गली पर
बात उनकी सुन कर हैरान हूँ...!!
सोच कर परेशान हूँ...!!
क्यों थी...!! वो बदनाम गली...???

अकसर...,,उस गली में...,,
दिन में बचपन कहीं खो जाता...,,
रात को पैरो तले रो जाता...,,
मसूम कलियों कि चिकार से...,,पूरी गली तिलमिला उठती...,,
जिस कली को टूटने की आदत हो गई...,,
वो आह तक ना भरती...!!
उनके आंसुओं का बस एक सवाल था
क्यों थी...! वो बदनाम गली...??

बचपन में जिन हाथों में खिलौने जचते...,,
क्यों उन हाथों लाली पाउॅडर था...??
स्कूल के बस्ते कि जगह...,,
क्यों!डर का दर्द उनके चेहरे पर था
उनकी मसूमियत हर वक्त चिख-चिख कर पूछती है
किसने बनाया ये बदनाम गली...??
क्यों थी...!! वो बदनाम गली...??

....nisha nik(ख्याति )....


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