आह!!


इन हाथों में शर्धा सुमन होता ,
तो तुझको अर्पण करती
दिल में पुष्प बहुत है...
हाथों में जो दाम होता, तो तुझको अर्पण करती
इन आंसुओं का मोल नहीं रखा...
बिकाऊ संसार में,
जो होता तो तेरे चरणों में अर्पण करती
विवेक नहीं है मुझमें,
जो होता ,तो समझ गई होती...
तू भी रूप देख पूजनियें हो चुकी है,
मुझ से ज्यादा दयनीय हो चुकी,
संसार कि पालनकर्त,माहाशक्ति,महामाया
पैसो के पुजारियों,प्रपंच के विक्रेताओं के बीच
पहरे में बैठी है....
Nisha nik(ख्याति )...


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