नज़्म:- अकेलापन


'''''अकेलापन''''

अकेलापन जब भी आता है

खामोश शब्दों की एक तिलमिलाहट लाता है
चीरता हुआ,अंदर तक,ह्रदय को वेदता है
और वेदना कि एक ग़मगीन पीङा ज़हन में ऊतार जाता है

अकेलापन जब भी आता है

हाथों में कटाक्ष लिए, किसी को नजर नहीं आता,
पर बङी तेजी से मेरे ह्रदय को वेदता जाता है
मैं शिश्क भी ना पाँऊ, इतना सूनापन कर जाता है


अकेलापन जब भी आता है

दिन कि रोशनी में भी, घनघोर अंधेर समेट कर लाता है
मैं रोशनी देखूँ भी कैसे, वो मेरे ह्रदय में,
निराशा से भरपूर अंधकार कर जाता है

अकेलापन जब भी आता है

...nisha nik(ख्याति)....

Comments

Popular Posts