उम्मीद
मायूशी क्यों है चेहरे पे तेरे,
जरूरी तो नहीं हर शाख पर कली खिल जाये।
लगाया है जो बगिया माली ने,
जरूरी तो नहीं हर पौधे को भाॅवरा मिल जाये।
हर पौधा सावन में खिले,
जरूरी तो नहीं बरसात सब के लिए दवा बन जाये।
आज तेरा तो कल मेरा,ये कौन बतलाये,
खुशी ना जाने कब,कहाँ और कैसे मिल जाये।
.....nisha nik(ख्याति )....
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