रो गई उस पल उसकी माँ
रो गई उस पल उसकी माँ
अगर गलत है, रात में चौराहे पर खङा होना बेटियों का
तो सही नही बेटो के लिए भी
बेेटे है जानवर नही, जो रात चौराहे पर गुजारे।
दहलीज की सीमा सिर्फ बेटियों के लिए नहीं,
बेटों के लिए भी तय करो
जब वो निकलते है घर से, उनके लौटने का समय तय करो।
खबर सिर्फ बेटियों की नहीं,
बेटों की भी रखो
कही आपके बेटे से
किसी बेटी को डर तो नही लगता,
नजर उस पर रखो ।
लोगो ने कहा कपङे असलील हो गये!
उस मासूम की क्या गलती थी ?
जो ठीक से अभी बङी भी नहीं थी ।
हैवानियत की आग में जली तो बच्ची भी थी।
रो गई उस पल उसकी माँ,
जिसकी बच्ची ने सब सहा था
मरते हुऐ उस बच्ची ने कहा,
दुपटा तो माँ, मेरे गले में था।
देश की सरकार नपुंसक है तो बता दो,
न्याय हम खुद कर लेंगे
अब से अपनी बेटियों को श्रृंगार नहीं,
खंजर हाथों में देंगे।
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