Hindi Poem | हाय!आपदा,हाय-हाय प्रबंधक
''हाय! आपदा, हाय-हाय प्रबंधक''
चलों सरकार को सब मिलकर कहते है
सिर्फ मुआवजा जान की कीमत हो नही सकता
नेताजी ये आपके कुकर्मों को धो नही सकता
करवाना चाहिए जब आपको काम
आपने किया अपनी कोठियों में आराम
आपदा में मरतों को सिर्फ देख जान,
धर्म हो नहीं सकता
सिर्फ मुआवजा जान की कीमत हो नही सकता
नेताजी ये आपके कुकर्मों को धो नहीं सकता
माना आपदा प्रकृतिक है, जोर हमारा चल नही सकता
पर समय रहते जो किया होता ,प्रबंधन सही
तो हालात इतना नहीं बिगङता
समय पर आप कुछ कर ना सके
आये थे जो पैसे प्रबंधन के,
उससे ना जाने किस-किस ने घर भरे
अब तो सिर्फ बातों से सब हल हो नही सकता
सिर्फ मुआवजा जान की कीमत हो नहीं सकता
नेताजी ये आपके कुकर्मों को धो नहीं सकता!!
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